*शहरों में ऐशो आराम की जिंदगी जी रहे प्रधान*
रुद्रप्रयाग। ग्राम प्रधानों को माह में 3500 मानदेय दिया जाता है। सरकार से मिलने वाले बजट में भी ग्राम प्रधान अपना हिस्सा पूरा रखते हैं। इसके अलावा ग्राम प्रधानों के समय-समय पर बाहरी प्रदेशो में घूमने के टूर भी लगते हैं। इन कार्यक्रमों में लाखों का बजट लगता है और लाखों खर्च होने के बावजूद विकास कार्यो में इनका योगदान शून्य होकर रह गया है। जिले के कई ग्राम प्रधान अपने मानदेय के अलावा सरकारी बजट को ठिकाने लगाकर शहरी इलाकों में ऐशो आराम फरमा रहे हैं। ग्राम प्रधानों का कार्य है कि वे स्वच्छता, प्रकाश, पैदल मार्ग, स्वास्थ्य, पेयजल सफाई और मरम्मत, जन्म मृत्यु का लेखा करना, बीमारियों की रोकथाम के साथ अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले कार्यों के प्रति जवाबदेही के साथ कार्य करें, मगर ऐसा नहीं किया जा रहा है, लेकिन अगर समाज में ऐसे प्रधान हैं तो कई गांवों में ऐसे प्रधान भी हैं जो ईमानदारी के साथ गांव में रहकर ग्रामीण जनता का विकास कार्य कर रहे हैं और सरकार की योजनाओं को भी धरातल पर उतारकर अन्य प्रधानों के लिए नजीर बने हुए हैं।
जिसकी सरकार उसका राज जैसी बनी स्थिति
रुद्रप्रयाग। जिले में कई ग्राम प्रधान ऐसे हैं, जो अपनी सरकार का रौब दिखाकर विकास कार्यो के बजट को ठिकाने लगाने में लगे हैं। वे पार्टी का खौफ और बड़े नेताओं से पहचान का डर दिखाकर अपने कार्यो को करवा रहे हैं। इन प्रधानों में कई ऐसी महिला प्रधान हैं, जिनके पति भाजपा पार्टी में बड़े पदाधिकारी हैं और वे गांव में आना भी पसंद नहीं कर रही हैं, जिस कारण अधिकारी भी इन पर कार्यवाही करने से कतरा रहे हैं। प्रधानों के ऐसे कारनामों से इन ग्राम पंचायतों का विकास रसातल पर चला गया है और यहां की जनता अपने को कोस रही है। बुद्धिजीवी देवेन्द्र बिष्ट ने कहा कि गांवों का विकास तभी संभव है, जब गांव में प्रधान रहेंगे और गांव की समस्या को समझेंगे।
ग्रामीणों की शिकायत पर चल रही जांच: प्रेम सिंह
रुद्र्रप्रयाग। जिला पंचायत राज अधिकारी प्रेम सिंह ने बताया कि विकासखण्ड जखोली और अगस्त्यमुनि के अन्तर्गत कई ग्राम पंचायतें ऐसी हैंं, जहां के प्रधान गांव में नहीं रहते हैं। प्रधानों के गांव में नहीं रहने की शिकायत ग्रामीणों ने उच्च अधिकारियों से की है। जिस पर जांच भी चल रही है। गांवों में प्रधानों के नहीं रहने से विकास कार्य प्रभावित हो जाते हैैं। साथ ही ग्रामीण जनता भी अपनी समस्याओं को लेकर भटकती रहती है।