आयुर्वेद चिकित्साउतराखंड

आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान की तरफ़ विश्व का रुझान : डॉ. डी. के. श्रीवास्तव

ऋषिकेश : यूरोप के देशों में वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में आयुर्वेद को विशेष सम्मान प्राप्त हो रहा है इस तरह आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान ने यूरोप के कई देशों में इसकी शुरुआत प्रारंभ हो गई है अतः वहाँ कई नैदानिक परियोजनाओं का प्रारंभ भी हो गया है जो आधिकारिक तौर पर पूरक चिकित्सा प्रणाली के रूप मैं आयुर्वेद के मूल्यों और सिद्धांतों को मान्यता देती है। उक्त व्यक्तव्य ऋषिकेश के अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. डी. के. श्रीवास्तव ने यूरोप के देश बेल्जियम और नीदरलैंड के विभिन्न मेडिकल संस्थाओं और केन्द्रों में अपने पंद्रह दिवसीय आयुर्वेद वर्कशॉप की सफ़लता पूर्वक संपन्न करने के बाद आज भारत 🇮🇳 लौटने के उपरान्त कहीं।

डॉ. श्रीवास्तव पिछले 17 वर्षों से लगातार विश्व के कई देशों में भारतीय आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान के सफल कार्यक्रमों , कार्यशाला एवं लाइफ स्टाइल डिज़ीज़ की सफल चिकित्सा कर आयुर्वेद का पताका विश्व में फहरा रहे है। जिसमे स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया , नीदरलैंड्स, स्पेन , स्विडन, स्लोवाकिया , हंगरी , जर्मनी, रूस, अफ्रीकी देश घाना प्रमुख रूप से हैं।
डॉ डी के श्रीवास्तव ने कहा की आज डबल्यू एच ओ भी लाइफ स्टाइल डिजीस के सम्पूर्ण स्वस्थ निदान के लिए विश्व के अनेक चिकित्सा पद्धतियों द्वारा ठीक करने की मुहिम में सकारात्मक उम्मीद के साथ कार्य करना छह रहा है जिसकी शुरुआत भारत देश के जामनगर ,गुजरात में शीघ्रता से प्रारंभ हो रहा है। आज आवश्यकता है कि हम आयुर्वेद विज्ञान के वैज्ञानिक ऋषि मुनियो और संहिताओं द्वारा अपने ख़ान पान, शारीरिक श्रम , उत्तम व्यवहार, आचरण और दिनचर्या के द्वारा ही सम्पूर्ण स्वस्थ और शतायु जीवन प्राप्त कर सकते हैं। नवजीवनम् आयुर्वेद संस्थान के प्रमुख आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. डी. के. श्रीवास्तव में बताया की यूरोप के देश विश्व की प्रथम और भारत की इस पुरातन चिकित्सा विज्ञान को अपना कर अपना स्वस्थ एवं आनंदित जीवन जीना चाहती है वो जानती है की आयुर्वेद एक पारंपरिक चिकित्सा पद्धति है जिसकी शुरुआत 5,000 साल पहले प्राचीन भारत में हुई थी। इसमें स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के लिए एक समग्र दृष्टिकोण शामिल है, जो बीमारी को रोकने और दीर्घायु को बढ़ावा देने के लिए शरीर, मन और आत्मा के भीतर संतुलन बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करता है।

आयुर्वेद का मुख्य दर्शन पांच तत्वों अर्थात् अग्नि, जल, पृथ्वी, वायु और आकाश तथा तीन दोषों अर्थात् वात, पित्त और कफ पर आधारित है; आयुर्वेद एक मजबूत चिकित्सा पद्धति है जो प्राकृतिक औषधीय स्रोतों के साथ महत्वपूर्ण रूप से प्रासंगिक चिकित्सा उपचार और राहत प्रदान करती है !
डॉ. श्रीवास्तव को पुनः यूरोप के देश स्विट्जरलैंड और नीदरलैंड्स में कई आयुर्वेद वर्कशॉप करने हेतु दिनांक 03 अक्टूबर से 16 अक्टूबर तक विभिन्न संस्थाओं द्वारा आमंत्रित किया गया है। ऋषिकेश आयुर्वेद डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ डी पी वलोदी ने यूरोप के देशों में आयुर्वेद का सफलता पूर्वक पताका फहराने के लिए डॉ. डी. के. श्रीवास्तव को हार्दिक शुभकामनाएँ एवं धन्यवाद दिया।

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