ऋषिकेश, परिजन अपनी पीड़ा को भुलाकर दूसरों के सुख के लिए नेत्रदान के लिए आगे आ रहे हैं। पिछले दशक में, लोग नेत्रदान का फॉर्म तो भर देते थे, लेकिन परिवार में इसका जिक्र मात्र से ही तनाव उत्पन्न हो जाता था। वर्तमान में, नेत्रदान के महत्व को समझते हुए लोग स्वयं ही इस महान कार्य के लिए आगे आ रहे हैं।
नेत्रदान कार्यकर्ता राकेश रावल ने जानकारी देते हुए बताया कि आज प्रातः हीरालाल मार्ग निवासी 72 वर्षीय चंद सचदेवा का निधन हो गया। इस कठिन समय में, उनकी पत्नी श्रीमती वीणा सचदेवा ने अपने भारी मन से पुत्रवधू भावना से नेत्रदान की इच्छा प्रकट की। भावना ने तुरंत उनकी सखी श्रीमती उषा नारंग से संपर्क किया, जिन्होंने नेत्रदान के लिए नेत्रदान कार्यकर्ता गोपाल नारंग से अनुरोध किया। गोपाल नारंग ऋषिकेश आई बैंक एम्स हॉस्पिटल की नेत्रदान रेस्क्यू टीम के साथ, जिसमें डॉक्टर अनु चौधरी और संदीप गोसाई भी शामिल थे, सचदेवा के निवास पर पहुँचे। वहाँ टीम ने दोनों कॉर्निया सुरक्षित रूप से प्राप्त कर लिए।
टीम ने बताया कि दोनों कॉर्निया स्वस्थ हैं और आवश्यक जांचों के बाद इन्हें दो नेत्रहीनों की आंखों में प्रत्यारोपित कर दिया जाएगा। नेत्रदान के समय सतीश, अनिल, मनीष और अमित सचदेवा की आँखें गमगीन थीं, लेकिन परिवार द्वारा इस नेक कार्य को पूरा करने के कारण उनकी आँखों में आंसू भी थे।
लायंस क्लब ऋषिकेश देवभूमि के जनसंपर्क अधिकारी मनमोहन भोला के अनुसार, यह मिशन का 354 वां सफल प्रयास है, और यह प्रयास अविरल चलता रहेगा।