केजरीवाल की जमानत पर रोक
दिल्ली की विशेष अदालत ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नियमित जमानत देकर सभी पक्षों को चौंका दिया। केजरीवाल शराब घोटाले के आरोपित हैं और उन्हें पीएमएलए (धनशोधन निरोधक अधिनियम) की धाराओं में गिरफ्तार किया गया था। इस अधिनियम के तहत जमानत मिलना लगभग असंभव है। पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन लंबे अंतराल से इसी कानून की धाराओं और अन्य कानूनी प्रावधानों के तहत जेल में हैं। उन्होंने सर्वाेच्च अदालत तक गुहार लगाई, लेकिन कमोबेश सिसोदिया को एक बार भी जमानत नहीं दी गई। सत्येंद्र स्वास्थ्य आधार पर कुछ समय के लिए जेल से बाहर रहे, लेकिन लौट कर जेल ही जाना पड़ा। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर भी धनशोधन की धाराओं के तहत केस बनाए गए, लिहाजा वह भी जनवरी, 2024 से जेल में ही हैं। उनकी जमानत की याचिकाएं भी खारिज होती रही हैं। तेलंगाना की ‘भारत राष्ट्र समिति’ पार्टी की सांसद के. कविता भी शराब घोटाले के कारण जेल में हैं। केजरीवाल को विशेष अदालत ने उन्हीं दलीलों पर जमानत दी थी, जिनके आधार पर उन्हें अन्य अदालतों ने जमानत नहीं दी थी। उन्हें लगातार न्यायिक हिरासत में रखा जा रहा था। बीच में सर्वाेच्च अदालत ने उन्हें चुनाव-प्रचार के लिए विशेष अंतरिम जमानत दी थी। उसके बाद दो जून को उन्हें जेल लौटना पड़ा था। बहरहाल केजरीवाल की जमानत आधी-अधूरी साबित हुई, क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने निचली अदालत के इस फैसले को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी और उच्च न्यायालय ने तब तक जमानत की प्रक्रिया पर रोक लगा दी, जब तक उसकी सुनवाई पूरी न हो जाए। अब साफ है कि केजरीवाल का जेल से बाहर आना फिलहाल रुक गया है। आम आदमी पार्टी (आप) का जश्न और भविष्य की योजनाओं पर सन्नाटा पसर गया है। दरअसल केजरीवाल का जेल में रहना ‘आप’ के लिए बहुत बड़ी सजा है, लिहाजा जमानत के फैसले पर पार्टीजन ‘सत्यमेव जयते’ के नारे लगा रहे थे। चूंकि ‘आप’ का राष्ट्रीय संयोजक फिलहाल जेल के बाहर आ रहा था, लिहाजा वे जश्न मना सकते थे। अब सब कुछ स्थगित हो गया है। उच्च न्यायालय ने सुनवाई शुरू कर दी है।
हम केजरीवाल और ‘आप’ के प्रवक्ता, नेताओं से सवाल करना चाहते थे कि देश में संविधान, न्यायपालिका और लोकतंत्र अभी जिंदा हैं अथवा नहीं? चुनाव के दौरान एक झूठा नेरेटिव कांग्रेस ने गढ़ा था कि यदि मोदी सरकार ही लौट कर आ गई, तो संविधान बदल दिया जाएगा। लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। जाहिर है कि संविधान बदल दिया जाएगा, तो न्यायपालिका का अधिकार-क्षेत्र भी प्रभावित होगा। आरक्षण भी समाप्त कर दिया जाएगा। इस झूठे नेरेटिव को केजरीवाल-समूह ने भी आगे बढ़ाया था, क्योंकि ‘आप’ भी ‘इंडिया’ विपक्षी गठबंधन का हिस्सा रही है। बेशक चुनाव भी प्रभावित हुआ। यह जनादेश से स्पष्ट है कि भाजपा को भी बहुमत नहीं मिला। वह 240 सीट पर ही सिमट गई, नतीजतन देश में गठबंधन की सरकार बनी है। जब केजरीवाल जेल से बाहर आएंगे, तो क्या कहेंगे? आम चुनाव तो सम्पन्न हो चुके। ‘आप’ के मात्र तीन सांसद पंजाब से चुने गए हैं। केजरीवाल की दिल्ली ने ‘शून्य’ दिया है। केजरीवाल का जेल से बाहर आना पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। फरवरी, 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं। ‘आप’ की सार्वजनिक छवि और भीतरी संकट बेहद गंभीर हैं। महिलाओं को 1000 रुपए माहवार देने का वायदा निभाना है, क्योंकि वह बजट की घोषणा है। चूंकि केजरीवाल के जेल में रहने से कैबिनेट की बैठक लंबे समय से नहीं हो पाई, नतीजतन परियोजनाओं को स्वीकृति लटक रही है। दिल्ली में पानी का जो गंभीर संकट फैला हुआ है, उसके लिए भी केजरीवाल के हस्तक्षेप की जरूरत है। हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में भी केजरीवाल चुनाव लडऩे की योजना बना रहे हैं, लेकिन अब क्या किया जाए? बहरहाल, उच्च न्यायालय के आदेश की प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।