
ऋषिकेश : नेत्रदान के प्रति समाज में जन-जागरूकता निरंतर बढ़ रही है। स्वजन, अपने प्रियजन के निधन के ग़म को भुलाकर दूसरों की अंधेरी ज़िंदगी में रोशनी देने के लिए नेत्रदान महादान टीम से संपर्क कर रहे हैं। एक बार किसी परिवार में नेत्रदान हो जाने पर वह परिवार नेत्रदानी परिवार कहलाता है।
हनुमंतपुरम निवासी श्रीमती कामना अग्रवाल के निधन पर उनके पुत्र अनूप अग्रवाल ने अपने भाइयों नरेश अग्रवाल एवं श्री मुकेश अग्रवाल से माता के नेत्रदान की इच्छा साझा की। पूर्व में पिता का नेत्रदान करा चुके भाई राजेश अग्रवाल की सहमति सहित दोनों भाइयों की अनुमति मिलते ही परिवार ने नेत्रदान कार्यकर्ता गोपाल नारंग को सूचित किया। उनके आग्रह पर एम्स अस्पताल की नेत्रदान रेस्क्यू टीम— पवन नेगी, आलोक एवं डॉ. दिव्या कृष्णा—ने निवास पर पहुँचकर दोनों कॉर्निया सुरक्षित रूप से प्राप्त किए।
इसी प्रकार, तिलक मार्ग निवासी स्व. मदनलाल गेरा के निधन पर मृतक का पार्थिव शरीर मोर्चरी में रखने के बाद परिवार को नेत्रदान का ध्यान आया। अजय कालड़ा एवं श्री संचित अरोड़ा के अनुरोध पर यह नेत्रदान संपन्न हुआ।
गमगीन माहौल में, स्व. श्रीमती अमनप्रीत के निधन पर परिजनों श्री ललित एवं रणजीत महेंद्रु द्वारा भी नेत्रदान कराया गया।
नेत्रदान की इस कड़ी में, अद्वैतानन्द मार्ग निवासी स्व. श्रीमती वीना रानी डंग के निधन पर उनके दामाद श्री रोहित डंग ने प्रिंस धर्मेश मनचंदा से संपर्क किया, जिसके पश्चात् टीम ने दोनों कॉर्निया सुरक्षित प्राप्त किए।
लायंस क्लब ऋषिकेश देवभूमि के अध्यक्ष राजीव अरोड़ा के अनुसार अब तक 416 व्यक्तियों के नेत्रदान कराए जा चुके हैं और यह कार्य अविरल रूप से जारी रहेगा।
नेत्रदान कार्य पर अनिल कक्कड़, प्रेम महरोत्रा, राजीव खुराना एवं संदीप गुप्ता ने परिजनों को साधुवाद प्रेषित किया।