
यात्रा पड़ावों में भक्तों को मिल रही सभी सुविधाएं, सुखद यात्रा का संदेश लेकर लौट रहे श्रद्धालु
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ धाम की यात्रा में भक्तों का हुजूम उमड़ रहा हैं। पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष अधिक संख्या में भक्त बाबा केदार के दरबार में पहुंच रहे हैं। इन दिनों हर दिन 23 से 24 हजार के करीब भक्त बाबा के दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं। मौसम खराब होने पर भक्तों की हिफाजत को लेकर जिला प्रशासन भी जुटा हुआ है।
केदारनाथ धाम की यात्रा नया आयाम छूने जा रही है। 38 दिनों की यात्रा में अब तक 8 लाख 85 हजार से अधिक भक्त बाबा केदार के दर्शन कर चुके हैं, जबकि पिछले वर्ष की तुलना में अभी तक केदारनाथ धाम की यात्रा में अधिक श्रद्धालु पहुंचे हैं और लगातार भक्तों की भीड़ उमड़ती जा रही है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है की इस बार की यात्रा पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ेगी। इस बार भक्तों को यात्रा मार्गों में बेहतर से बेहतर सुविधाएं मिलने से उनमें खुशी देखने को मिल रही है और वे यहां से अच्छा संदेश लेकर जा रहे हैं।
यात्रा के शुरूआत में कहा गया कि कुम्भ के कारण यात्री कम पहुंचेंगे, जबकि बीच में भारत पाकिस्तान युद्ध के असर के कारण यात्रा में कमी भी बताई गयी, लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतते गए वैसे ही यात्रा परवान चढ़ती गई और यात्रा ने पिछले वर्ष के अभी तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। अभी लगभग चार माह की यात्रा बची हुई है। ऐसे में केदारनाथ यात्रा के पुराने सभी रिकॉर्ड ध्वस्त होने के आसार बने हुए हैं।
ढाबा व्यवसायी गावस्कर रावत, नवदीप कप्रवाण, रेस्टोरेंट संचालक कमलेश भट्ट एवं संदीप रावत ने कहा कि केदारनाथ धाम की यात्रा में पिछले वर्षों की तुलना इस बार अच्छी भीड़ देखने को मिल रही है। इस बार यात्रा में प्रशासन ने पार्किंग से लेकर, सफाई, रहने खाने, मेडिकल सहित अन्य सुविधाओं में बढ़ोतरी की है, जिसका नतीजा यह है कि आज यात्रा ने नया आयाम स्थापित कर दिया है। केदारनाथ यात्रा पड़ावों में व्यापार कर रहे छोटे से लेकर बड़े व्यापारी को फायदा मिल रहा है। धाम की यात्रा में हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। कहा कि प्रदेश सरकार की चारधाम यात्रा सुव्यवस्थित तरीके से संचालित हो रही है, मगर ऑनलाइन पंजीकरण व्यवस्था में सुधार करने की जरूरत है। साथ ही रात-दिन की यात्रा को बंद किया जाना चाहिए। शाम सात बजे बाद बैरिकेडिंग किया जाए, जिससे यात्रा मार्ग के रुद्रप्रयाग से सीतापुर तक सभी को व्यापार मिल सके।