देश का प्रकृति प्रशिक्षण अभियान के स्टेट कोऑर्डिनेटर बने डॉक्टर श्रीवास्तव
ऋषिकेश , 08 नवंबर । देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस (धन्वंतरि जयंती ) पर ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ आयुर्वेद नई दिल्ली में घोषित राष्ट्रीय कार्यक्रम *देश का प्रकृति परीक्षण अभियान*के लिए ऋषिकेश के नवजीवनम् आयुर्वेद संस्थान के अंतर्राष्ट्रीय आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ डी के श्रीवास्तव को उत्तराखंड राज्य का स्टेट कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया गया है ! सभी आयुर्वेद के चिकित्सकों ने ऋषिकेश के लिए यह गौरव का पल बताया है ! गोल्ड मेडलिस्ट डॉ डी के श्रीवास्तव ने बताया की प्रकृति परीक्षण अभियान को विज्ञान के आधार पर एथिकल क्लियरेन्स और डॉक्युमेंटेशन के साथ किए जाने की तैयारी हो रही है। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय, उसकी टीम और आयुर्वेद जगत से जुड़े लोगों का इस अभियान में विशेष योगदान है और हम इस अभियान के माध्यम से बहुत बड़ी सफ़तला अर्जित करके दिखाएंगे।आयुर्वेद के अनुसार व्यक्ति की अपनी विशिष्ट प्रकृति होती है जो जन्म के समय ही निश्चित हो जाती है। प्रकृति का ज्ञान व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा हेतु महत्वपूर्ण होता है।
इस राष्ट्रीय कार्यक्रम में गुरु राम राय मेडिकल कॉलेज के डॉ अनिल थपलियाल को भी कोऑर्डिनेटर बनाया गया है !
डॉ श्रीवास्तव ने आगे बताया कि इस अभियान के लिए आयुष मंत्रालय से जुड़ी सभी संस्थाओं को एक सूत्र में जोड़ा गया है और सभी राज्यों के कोऑर्डिनेटर्स ने इस अभियान में अपनी सहभागिता की है। एक नोडल एजेंसी के तौर पर एनसीआईएसएम इसे सफल बनाने का प्रयास कर रही है। साथ ही इसकी सफलता के लिए मंत्रालय के सभी संस्थान समग्र रूप से कार्य कर रहे हैं।इस राष्ट्रव्यापी अभियान को सफल बनाने के लिए दिनांक 12 नवंबर 24 को नई दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू भारतीय चिकित्सा अनुसंधान भवन में उत्तराखंड के कोऑर्डिनेटर और रजिस्ट्रार को आमंत्रित किया गया है जिसमे इस योजना की विस्तृत रूप रेखा बनेगी !
डॉ श्रीवास्तव ने बताया की इस अभियान को चलाने हेतु देश के सभी आयुर्वेदिक् मेडिकल कॉलेज में शिक्षा ग्रहण करने वाले स्नातक छात्र जिनकी संख्या लगभग 1 लाख 35 हजार है तथा स्नातकोत्तर शिक्षा ग्रहण करने वाले लगभग 20 हजार छात्र, इन महाविद्यालाओं में अध्ययन-अध्यापन कराने वाले 18 हजार अध्यापक और देश में चिकित्सक के रूप में सेवा प्रदान करने वाले लगभग 3 लाख से अधिक चिकित्सक, ऐसे कुल मिलाकर लगभग 4 लाख 73 हजार लोग इस अभियान में सदस्य के रूप में प्रकृति परीक्षण का कार्य संपादित कराएंगे। इनके माध्यम से एक माह में एक करोड़ से अधिक नागरिकों का प्रकृति परीक्षण किया जा सकेगा। इस अभियान के माध्यम से शोध क्षेत्र का सबसे बड़ा रिसर्च सैंपल साइज़ प्राप्त होगा जिससे यह सामान्य भ्रांति दूर की जा सकेगी कि आयुर्वेद के क्षेत्र में शोध कार्य नहीं होते।आयुर्वेद में आधुनिकता होनी चाहिए जिससे विश्व में आयुर्वेद का परचम लहरा सके !