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गिरासू भवन बरसात में बने जीवन के लिए खतरा नगर निगम ने थमाया नोटिस, लोग खाली करने के लिए तैयार नहीं

देहरादून। मानसून सीजन शुरू हो चुका है। दून समेत उत्तराखंड के कई जिलों में बारिश हो रही है। दून में लगातार हो रही बारिश से कई जगहों पर नुकसान की भी खबरें हैं। बीते रविवार देहरादून के बंजारावाला में दो मकान गिर गए। ये मकान ज्यादा पुराने नहीं थे, लेकिन फिर भी रिस्पना नदी में पानी के बहाव के चलते नए घर भी गिर गए। जब नए घरों का आलम यह है तो देहरादून में 80-100 सालों पुराने जर्जर हो चुके घरों का क्या होगा?
दून में 35 जर्जर भवनों को नगर निगम 10 साल पहले ही गिरासू घोषित कर चुका है। आए दिन इन भवनों का हिस्सा गिरता रहता है। इन दिनों बरसात के चलते गिरासू भवनों पर खतरा ज्यादा मंडरा रहा है। नगर निगम की ओर से हर साल बरसात से पहले गिरासू भवनों में रहने वाले लोगों को नोटिस भेज कर अलर्ट करता है।
शहर के आढ़त बाजार, आराघर, पार्क रोड, खदरी मोहल्ला, दर्शनी गेट, मन्नूगंज,राजपुर रोड, कांवली रोड, कालागढ़ रोड, तिलक रोड, कैनाल रोड, निरंजनपुर वालिया कंपाउंड, मोती बाजार, गांधी रोड, रेस्टकैंप, सैय्यद मोहल्ला, घोसी गली, इंस्ट्रियल एरिया मोहब्बेवाला, वीरगीर वाली गली राजपुर, अंसारी रोड, पंडितवाड़ी, बल्लीवाला चौक, क्रॉस रोड फालतू रोड, धामावाला, ख़ुडबुडा, चुक्खूवाला, सोसाइटी एरिया भारुवाला ग्रांट, दिलाराम बाजार, इंद्रेशनगर कांवली रोड, पार्क रोड ओर झड़ा साहिब में गिरासू भवन हैं। नगर निगम की सूची में कई ऐसे गिरासू भवन भी हैं,जो खाली पड़े हैं। इस तरह का गिरासू भवन घंटाघर के पास हैं। जिसके आसपास धारा चौकी है। दूसरी साइड एक प्रतिष्ठान है। अगर यह गिरासू भवन ढह जाता है तो कहीं न कहीं बगल में चौकी और प्रतिष्ठान भी चपेट में आ सकते हैं। साल 2018 में बारिश के चलते तहसील चौक के पास एक गिरासू भवन जमींदोज हो गया था। तेज आवाज सुनकर आसपास रहने वाले लोगों में अफरा तफरी मच गई थी। साल 2020 में इंदिरा कॉलोनी में भारी बारिश के चलते दो मकान जमींदोज हो गए थे। इसमें चार लोगों की मौत हो गई थी।
नगर निगम में जिन गिरासू भवन की सूची तैयार की है उनमें से कुछ भवन खाली हैं। इसके अलावा कई भवन ऐसे हैं जिनमें या तो कोई रह रहा है या फिर वहां पर दुकान आदि बनी हुई है। चकराता रोड, राजपुर रोड, पलटन बाजार, गांधी रोड और तिलक रोड आदि इलाकों में अंग्रेजों के जमाने में बनाए गए यह भवन हर वक्त खतरा बने हुए है। इनमें से कई भवन तो 80 से 90 साल पुराने हैं।
नगर निगम निर्माण विभाग के अधिकारियों की मानें तो किसी की शिकायत आती है तो नगर निगम की निर्माण विभाग की टीम मौके पर जाती है। भवन का तकनीकी मुआयना किया जाता है। सर्वे के दौरान भवन की नींव, उसकी छत दरवाजे और खिड़कियों की हालत को चेक किया जाता है। इसमें जेई – एई स्तर अधिकारी होते हैं। उसके बाद तय किया जाता है कि भवन ध्वस्त करने लायक है या नहीं? साथ ही भवन तेज गति से आने वाले भूकंप का झटका झेल सकते हैं या नहीं, यह भी चेक किया जाता है।
दून नगर आयुक्त नमामि बंसल ने कहा देहरादून की ऐसी इमारतें जो जर्जर होने के साथ ही जनहानि की संभावना को बढ़ाती हैं। ऐसे भवन स्वामियों को पहले ही घर खाली कराने की कार्यवाही समय-समय पर की जा रही है। नगर निगम के लोग निर्माण विभाग अनुभाग में ऐसे भवनों में रहने वाले लोगों को मकान खाली करने के लिए नोटिस भेजने शुरू कर दिए हैं। साथ ही बारिश के चलते नगर निगम की ओर से सबको अलर्ट किया जाना है।

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