*काबुल हाउस ई.सी. रोड की सम्पत्ति खुर्द बुर्द करने पर चार के खिलाफ मुकदमा दर्ज*
भूमि की धोखाधड़ी में किसी को भी नहीं बख्शा जाएगाः एसएसपी
फर्जी दस्तावेज और कूटरचना कर कब्जाने का प्रयास किया गया
देहरादून। काबुल के अमीर (राजा) याकूब साहब की संपत्ति थी जो 1876 में बिट्रिश सरकार की ओर से उन्हें दी गई थी। यह भूमि याकूब के वारिसों के नाम दर्ज चली आ रही थी। सन 1947 में बंटवारे में याकूब के वारिस पाकिस्तान चले गए थे जिसके बाद इनका हिस्सा शत्रु संपत्ति घोषित हो गया। इसके बाद इस जमीन पर कब्जे का मामला सामने आया था। डालनवाला थाने में ईसी रोड स्थित काबुल हाउस की शत्रु संपत्ति को कब्जाने वालों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। फर्जी दस्तावेज और कूटरचना कर कब्जाने का प्रयास किया गया। इस मामले में एसएसपी अजय सिंह ने आरोपितों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
ई.सी. रोड करनपुर पुलिस चौकी के बगल पर भूमि संख्या 15बी (नया नम्बर 24) जो करनपुर पुलिस चौकी के पीछे वाली भूमि जो पूर्व काबूल के अमीर (राजा) याकूब साहब की सम्पत्ति थी, जो 1876 में बिट्रिश सरकार की तरफ से दी गयी थी। यह भूमि याकूब के वारिसों के नाम दर्ज चली आ रही थी। सन 1947 में बटवारे में याकूब के वारिसान पाकिस्तान चले गये थे. जिसके बाद इनका हिस्सा कस्टूडियन सम्पति (शत्रु संपति) घोषित हुआ। वर्ष 2000 में साहिद और खालिद पुत्रगण तथाकथित अब्दुल रज्जाक, निवासी ढोलीखाल, जनपद सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) ने इस भूमि को (अब्दुल रजाक की खेवट-47) अपने नाम अंकित करवाया उसके बाद इन दोनो ने इस भूमि की पावर ऑफ अटोनीं मौहमद आरिफ खान पुत्र शफात अली खान निवासी शामली (उत्तर प्रदेश) को दी।
इस भूमि पर विवाद होने के उपरान्त कब्जाधाकरियो की याचिका पर उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड ने याचिका का निस्तारण करते हुए याचिकाकर्ताओ को अपना पक्ष जिलाधिकारी व असिस्टेन्ट कस्टूडियन के समक्ष रखने के लिए आदेशित किया और सम्पति पर यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया था। लेकिन विपक्षीगण मौहमद आरिफ खान पुत्र शफात अली खान निवासी शामली (उत्तर प्रदेश), भगवती प्रसाद उनियाल पुत्र रामकिशन उनियाल आदि ने कटूरचित दस्तावेज मुख्तयारनामाआम, विक्रय पत्र आदि तैयार कर इस भूमि को करीब 30 लोगो को सन 2017 में बेच दिया। खरीदने वालो नें इसके पश्चयात इस भूमि पर कब्जा कर निर्माण किये। वर्ष 2018 में इस्लामुद्दीन अंसारी पुत्र स्व. समशुद्दीन ने इस जमीन के बाबत शिकायत जिलाधिकारी को दी थी, जिलाधिकारी देहरादून द्वारा जाँच कराकर 2019 में उक्त प्रकरण में अपर जिलाधिकारी न्यायालय से 20 नवम्बर 2021 को शाहिद, खालिद की विरासत खारिज कर दी थी। इसके बाद वर्ष 2017 में करायी गयी समस्त रजिस्ट्रीयाँ स्वतः निरस्त हो गयी थी, लेकिन कब्जा धारको ने भूमि से अपना कब्जा नहीं हटाया। 25 मई 2022 को उच्च न्यायालय उतराखण्ड के आदेश के अनुपालन में जिलाधिकारी ने प्रशासन को इस भूमि कब्जाधारियो से खाली खराने के निर्देश पर 2 नवम्बर 2023 को पुलिस व प्रशासन की टीम ने भूमि को कब्जाधारियो के कब्जे से मुक्त कराया है।
भूमि प्रकरण मेंउच्च न्यायालय नैनीताल का आदेश पारित होने के बाबजूद विपक्षीगण शाहिद, खालिद, आरिफ खान, भगवती प्रसाद उनियाल आदि में षडयन्त्र के तहत कस्टूडीयन व सरकारी सम्पत्ति को कूटरचित दस्तावेजो के आधार पर तथा सम्पति को गैर कानूनी तरिके से खेवट 47 (खेवटदार अब्दुल रज्जाक) के स्वामित्व की सम्पति दर्शित करते हुए विपक्षी शाहिद व खालिद पुत्रगण अब्दुल रजाक निवासी ढोली खाल सहारनपुर उत्तर प्रदेश, को अब्दुल रज्जाक का पुत्र और वारिस दर्शाते हुए मिलीभगत करके राज्सव अभिलेखो में अपनी विरासत दर्ज करवायी। इसके बाद इन्होंने कूटरचित मुख्तारनामाआम तैयार कराकर सरकारी सम्पति पर अध्यासित भगवती प्रसाद उनियाल आदि से मिलीभगत करके कूटरचित विक्रय पत्र भगवती प्रसाद उनियाल व अन्य लोगो के पक्ष में तैयार कराये गये।
क्या है मामला
वर्ष 2000 में शाहिद और खालिद निवासी ढोलीखाल जनपद सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) ने इस भूमि को अपने नाम अंकित करवाया। इन दोनों ने इस भूमि की पावर आफ अटार्नी मोहम्मद आरिफ खान निवासी शामली (उत्तर प्रदेश) को दी। इस भूमि पर विवाद होने के बाद कब्जाधारियों की याचिका पर उच्च न्यायालय उत्तराखंड ने याचिकाकर्ताओं को अपना पक्ष जिलाधिकारी देहरादून के समक्ष रखने के लिए आदेशित किया और संपत्ति पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। लेकिन, विपक्षीगण मोहम्मद आरिफ खान निवासी शामली (उत्तर प्रदेश), भगवती प्रसाद उनियाल आदि ने कूटरचित दस्तावेज तैयार कर इस भूमि को करीब 30 व्यक्तियों को वर्ष 2017 में बेच दिया।
इस्लामुद्दीन अंसारी ने की थी शिकायत
खरीदने वालों ने इस भूमि पर कब्जा कर निर्माण किए। वर्ष 2018 में इस्लामुद्दीन अंसारी ने इस जमीन को लेकर जिलाधिकारी देहरादून को शिकायत दी थी। जिलाधिकारी देहरादून ने जांच कराकर वर्ष 2019 में उक्त प्रकरण में अपर जिलाधिकारी न्यायालय देहरादून की ओर से 20 नवंबर 2021 को शाहिद, खालिद की विरासत खारिज कर दी थी। साथ ही वर्ष 2017 में कराई गई समस्त रजिस्ट्रियां स्वतः निरस्त हो गई थी, लेकिन कब्जा धारकों ने भूमि से अपना कब्जा नहीं हटाया।
कोर्ट के आदेश के बाद कब्जा मुक्त कराई गई थी जमीन
25 मई 2022 को उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में जिलाधिकारी देहरादून ने प्रशासन को उक्त भूमि कब्जा धारियों से दो नवंबर 2023 को पुलिस व प्रशासन की टीम कब्जा मुक्त कराया। आरोपितों ने उच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन किया। कूटरचना और फर्जीवाड़े से जमीन पर कब्जा व अवैध निर्माण किया। जिस पर पुलिस ने आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया है।