
देहरादून। प्रदेश में जारी भारी बारिश से लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। वर्तमान स्थिति यह है कि 15 सितंबर की शाम से हो रही भारी बारिश की वजह से प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में आपदा की स्थिति बनी हुई है। प्राकृतिक आपदा ने न सिर्फ प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में, बल्कि उत्तराखंड की राजधानी में रह रहे लोगों को भी अपने चपेट में ले लिया है। इस क्षेत्र की मौजूदा स्थिति यह है कि रिस्पना नदी के दोनों तरफ रह रहे लोग रहने और खाने के मोहताज हो गए हैं।
उत्तराखंड में मॉनसून सीजन के दौरान हर साल प्राकृतिक आपदाएं आती हैं। खासकर यह आपदाएं प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकतर आती हैं और इन आपदाओं की वजह से जान माल को काफी नुकसान पहुंचता है। लेकिन बीते सोमवार को हुई भारी बारिश की वजह से देहरादून जिले के अधिकांश क्षेत्र भी आपदा की जद में आ गए हैं। आलम यह था कि भारी बारिश से नदियां पूरे उफान पर थी, जिसे इंफ्रास्ट्रक्चर को काफी अधिक नुकसान हुआ है। मालदेवता, सहस्त्रधारा, प्रेमनगर समेत देहरादून शहर के तमाम जगहों पर आपदा का दंश देखा गया। जिसके चलते इन क्षेत्रों की स्थिति जस की तस बनी हुई है।
इसी तरह देहरादून घंटाघर से दो किलोमीटर दूर ओल्ड डालनवाला स्थित भगत सिंह कॉलोनी के स्थानीय निवासी आपदा से जूझ रहे हैं। क्योंकि सोमवार देर शाम हुई भारी बारिश के कारण रिस्पना नदी अपने पूरे उफान पर आ गई। आलम यह था कि रिस्पना नदी के दोनों तरफ लगभग 100 मीटर के दायरे में मौजूद लोगों के घरों में मलबा घुस गया। इस क्षेत्र में यह भीषण आपदा पहली बार नहीं आई है। साल 2018 में भी इस क्षेत्र में मौजूद घरों में पानी घुसने का मामला सामने आया था। लेकिन इस बार सिर्फ आपदा का पानी ही घरों में नहीं घुसा, बल्कि तीन-तीन फीट तक मलबा भी लोगों के घरों में भर गया है। जिसके चलते लोगों का जीना मुहाल हो गया है।
इस कॉलोनी के आसपास मौजूद गलियों में 2-2 फीट पानी और मलबा जमा हुआ है, जिससे लोग आवाजाही नहीं कर पा रहे हैं। साथ ही घर से मलबा भी साफ नहीं कर पा रहे हैं। इसके साथ ही रिस्पना नदी के आसपास मौजूद मकान भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। जल भराव की वजह से लोगों के घरों में रखा तमाम सामान न सिर्फ बह गया, बल्कि बचा कुछ सामान मलबे के नीचे दब गया है।
स्थानीय लोगों ने कहा कि उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बावजूद इसके प्रशासन की ओर से उन्हें कोई मदद नहीं मिल पाई है। जबकि जल भराव और मलबा घरों में घुसने की वजह से ना वे घर में रह पा रहे हैं और ना ही खाना खा पा रहे हैं। क्योंकि उनका कुछ सामान बह गया तो कुछ सामान मलबे में दबा हुआ है। जिसके चलते स्थानीय लोग प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं।