
उत्तरकाशी। मानसून सीजन में उत्तराखंड के अनेक पहाड़ी जिलों पर आपदा की मार पड़ी है। उत्तरकाशी इन पहाड़ी जिलों में आपदा से सबसे ज्यादा प्रभावित है। पहले धराली आपदा आई। फिर हर्षिल में सेना के कैंप पर लैंडस्लाइड हुआ। जिले की सभी प्रमुख सड़कें लैंडस्लाइड से ध्वस्त हो गईं। इसके बाद स्यानाचट्टी में यमुना नदी पर गदेरे से आए मलबे से झील बनी और इलाके के मकान, दुकान और स्कूल पानी में डूब गए। अब एक और मुसीबत खड़ी हो रही है।
इस बार हर्षिल की तेलगाड़ के मुहाने के समीप बीते गुरुवार को पहाड़ी से भूस्खलन होने के कारण वहां पर दो झीलों ने आकार ले लिया है। एसडीआरएफ के अनुसार हालांकि अभी झीलों का आकार अधिक बड़ा नहीं है। यह तस्वीरें सेना के ड्रोन से ली गईं। तस्वीरें सामने आने के बाद प्रशासन आगे की कार्रवाई में जुट गया है। प्रशासन के निर्देश के बाद एसडीआरएफ की टीमें मौके पहुंचने का प्रयास कर रही हैं, जिससे कि स्थलीय निरीक्षण कर स्थिति का सही आकलन किया जा सके।
बीती गुरुवार सुबह तेलगाड़ के मुहाने के समीप पहाड़ी से भारी भूस्खलन हुआ। भूस्खलन के कारण उसमें मलबा और बोल्डर आ गए। इसके बाद तेलगाड़ गदेरे का प्रवाह भी कम हो गया था। भूस्खलन की आवाज सुनकर हर्षिल और आसपास के क्षेत्र में दहशत का माहौल बन गया था। उसके बाद एसडीआरएफ की टीम ने ड्रोन के साथ मौके पर पहुंचने की कोशिश की। लेकिन मौसम साफ न होने के कारण वह सफल नहीं हो पाए।
उसके बाद शुक्रवार को दोबारा मौसम साफ होने के बाद उस क्षेत्र में ड्रोन से निरीक्षण करने की कोशिश की गई। लेकिन तेज हवाओं के कारण उसका संचालन नहीं हो पाया। वहीं दूसरी ओर बृहस्पतिवार को सेना ने भी सुरक्षा को देखते हुए उच्च तकनीक ड्रोन से उस क्षेत्र का वीडियो और तस्वीरें खिंची। उसमें भूस्खलन वाले स्थान पर दो छोटी-छोटी झीलों की तस्वीरें सामने आई हैं।
बीते माह पांच अगस्त को तेलगाड़ के ऊफान पर आने के कारण उसमें भी पानी के साथ करीब 15 फीट मलबा बह कर आया था। जिसमें सेना के 9 जवान लापता हो गए थे। सैन्य कैंप को बहुत नुकसान हुआ था। लापता सैनिकों में से सिर्फ एक सैनिक का ही शव मिला है। इसके साथ ही तेलगाड़ में आए मलबे ने भागीरथी नदी का प्रवाह रोक दिया था। इस कारण भागीरथी नदी में करीब एक से डेढ़ किमी लंबी झील बन गई थी। इसमें हर्षिल हेलीपैड और गंगोत्री हाईवे का करीब 100 मीटर हिस्सा डूब गया था। हालांकि डबरानी और सोनगाड़ में गंगोत्री हाईवे सुचारू होने के बाद वहां पर मशीनें पहुंची हैं और भागीरथी नदी में बनी झील को खोलने का कार्य चल रहा है।