उतराखंडन्यायालय

नाबालिग प्रेम प्रसंग में लड़के ही आखिर दोषी क्योंः हाईकोर्ट

20 नाबालिग आज भी हैं हिरासत में

नैनीताल। राज्य में अक्सर देखा गया है कि जब भी नाबालिगों के प्रेम प्रसंग से सम्बंधित को भी गैरकानूनी गतिविधि सामने आती है तो ऐसे मामलों में पुलिस अक्सर लड़के को पकड़ती है लड़की को छोड़ देती है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए उत्तराखंड के हाई कोर्ट ने एक बड़ा सवाल खड़ा किया है।
हाई कोर्ट ने प्रदेश में होने वाले नाबालिगों के प्रेम प्रसंग के मामलों से सम्बंधित सवाल किया गया है। इसमें पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए हैं, दरअसल, प्रदेश में नाबालिगों के लव अफेयर्स के मामलों में केवल लड़कों को गिरफ्तार किया जाता है। लड़कियों को छोड़ दिया जाता है। हाई कोर्ट ने सवाल किया कि नाबालिगों के बीच प्रेम संबंधों के लिए सिर्फ लड़कों को ही क्यों सजा दी जाती है, जबकि लड़कियों को छोड़ दिया जाता है। हाईकोर्ट ने राज्य के नाबालिग लड़कियों के साथ प्रेम और अन्य गतिविधियों में शामिल किशोर लड़कों की गिरफ्तारी के खिलाफ जनहित याचिका दायर की है। इस जनहित याचिका वकील मनीषा भंडारी ने दायर किया, जिसकी सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायाधीश राकेश थपलियाल द्वारा की गई।
हाईकोर्ट ने इस जनहित याचिका पर विचार-विमर्श करते हुए राज्य और केंद्र दोनों सरकारों को यह स्पष्ट करने का आदेश दिया है कि नाबालिगों से सम्बंधित प्रेमप्रसंग की गतिविधियों में शामिल लड़कों को ही क्यों सजा मिलती है, जबकि लड़कियां भी बराबर दोषी पाई जाती हैं। लेकिन उनको छोड़ दिया जाता है। याचिका में साफ तौर पर कहा गया है कि नाबालिग लड़कों और लड़कियों के बीच प्रेम संबंधों से जुड़े मामलों में हमेशा लड़कों को ही दोषी करार किया जाता है। यहां तक कि जब लड़की बड़ी हो जाती है, तब भी लड़के को हिरासत में ले लिया जाता है और उसी को ही अपराधी घोषित किया जाता है। प्रेम प्रसंग के ज्यादातर मामलों में लड़के हो ही अंत में जेल की सजा काटनी पड़ती है, जबकि ऐसे मामलों में लड़कों को पकड़ने के बजाय परामर्श दिया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आई कि राज्य के 20 नाबालिग अभी भी प्रेम संबंधों से सम्बंधित आरोपों में पुलिस हिरासत में हैं। जिनका भविष्य 18 साल से कम की उम्र से ही दाव पर लगा हुआ है। जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य इस बात पर विचार कर सकता है कि क्या दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 161 के तहत लड़के का बयान दर्ज करना पर्याप्त होगा? क्या उसकी गिरफ्तारी जरूरी है। हाईकोर्ट ने यह भी प्रस्ताव दिया कि राज्य ऐसी स्थितियों में पुलिस विभाग के आदेश के अनुपालन के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी कर सकता है। यह भी सुझाव दिया कि ऐसे मामलों में नाबालिग को ज्यादा से ज्यादा इस तरह की गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल न होने की सलाह दी जा सकती है, लेकिन उसे गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए।

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