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उत्तराखंड में पहाड़ से मैदान तक बदलेगा मौसम

मानसून ने प्रदेश के सभी जनपदों में दी दस्तक आपदा के लिहाज से बढ़ी चिंताएं

मौसम विभाग के अनुसार इन बार मानसून नार्मल होने के आसार
देहरादून। देहरादून। उत्तराखंड में लगातार हो रही हल्की से मध्यम वर्षा के साथ मानसून ने दस्तक दे दी है। प्रदेश के हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर को छोड़कर मानसून ने सभी जिलों को कवर कर लिया था। हालांकि, इस बार मानसून सामान्य समय से करीब एक सप्ताह विलंब से पहुंचा है, लेकिन बीते सप्ताह से प्रदेश में प्री मानसून शावर का क्रम बना हुआ है।
शुक्रवार को गढ़वाल और कुमाऊं मंडल में तड़के से बारिश का दौर जारी रहा। हरिद्वार में तेज बारिश से मौसम सुहावना हो गया। नगर निगम और एन‌एच‌एआई नालों की सफाई की बात करता रहा और बरसात ने अपना खेल कर दिया। कोटद्वार में बारिश हुई। जिससे आमजन को उमस से राहत मिली। चमोली जिले में फ‍िलहाल मौसम साफ बना हुआ है। धूप खिली है। बदरीनाथ हाईवे सुचारू है। हल्‍द्वानी में तड़के से बारिश जारी है। प्रदेश के कई क्षेत्रों में भारी वर्षा का अलर्ट। मौसम विभाग ने मानसून आगमन की पुष्टि करते हुए अगले कुछ दिन प्रदेश के कई क्षेत्रों में भारी वर्षा का अलर्ट जारी किया है। आगामी तीन जुलाई तक पहाड़ से मैदान तक हल्की से मध्यम वर्षा का क्रम बना रह सकता है।
मानसून ने दस्तक दे दी है। किन्तु चिंता का विषय यह है कि  उत्तराखंड के लिए ये वक्त मानसून का स्वागत करने से ज्यादा, भविष्य के खतरों से निपटने वाला है। तमाम पर्यावरणविद् इसी चिंता के साथ मानसून के दौरान भूस्खलन की संभावना को बया कर रहे हैं। हैरत की बात यह है कि जिन जिलों को इसरो की रिपोर्ट में संवेदनशील माना गया था, वहां पर बड़े निर्माण से परहेज नहीं किया गया। स्थिति यह है कि अब मौजूदा मानसून सीजन के दौरान सबसे ज्यादा खतरा ऐसे ही जिलों या इलाकों में माना जा रहा है। वैज्ञानिक पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि इस बार गर्मी ने जिस तरह रिकॉर्ड तोड़े हैं, इस तरह बारिश भी पिछले सालों की तुलना में ज्यादा हो सकती है। वैज्ञानिकों का यह आकलन उत्तराखंड के लिए किसी बड़ी चिंता से कम नहीं है। जो जिले भूस्खलन के लिहाज से डिजास्टर जोन के रूप में देखे जा रहे हैं, वहां भारी बारिश की कल्पना पिछली आपदाओं की यादों को ताजा कर रही है। इसको लेकर आपदा प्रबंधन के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर पीयूष रौतेला कहते हैं कि प्रदेश में लोगों ने पारंपरिक वास स्थलों को छोड़कर बड़ी गलती की है। पहाड़ के अधिकतर इलाके लैंडस्लाइड जोन पर मौजूद हैं। पूर्व में लोग किसी कठोर चट्टान पर ही बसते थे। अब लोगों ने सुविधा के लिए कमजोर इलाकों में बसना शुरू कर दिया और वहीं से खतरा बढ़ता चला गया।
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में करीब एक सप्ताह से मध्यम से तीव्र बौछार का सिलसिला बना हुआ है। वहीं, देहरादून समेत आसपास के क्षेत्रों में भी प्री-मानसून शावर तेज हो गए थे। इस बीच प्रदेश में 27 या 28 जून को मानसून पहुंचने का पूर्वानुमान था। जिसके क्रम में गुरुवार को मानसून ने दस्तक दे दी। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, अगले कुछ दिन प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में भारी वर्षा हो सकती है। उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, बागेश्वर, रुद्रप्रयाग, चमोली में कहीं-कहीं गरज-चमक के साथ भारी वर्षा को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। देहरादून, पौड़ी, नैनीताल और टिहरी में आकाशीय बिजली चमकने व गर्जन के साथ तीव्र बौछार पड़ सकती हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन को लेकर सतर्क रहने की सलाह दी गई

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