उतराखंडराजनीति

बद्रीनाथ से लखपत और मंगोलर से काजी ने मारी बाजी

उपचुनाव में उत्तराखंड में भाजपा को लगा तगड़ा झटका

लखपत 5224 व काजी 449 वोटों से जीते
कांग्रेस के बागी राजेंद्र भंडारी को देखना पड़ा हार का मुंह
देहरादून। बदरीनाथ विधानसभा उप चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार लखपत सिंह बुटोला 5224 मतों से चुनाव जीते गए है। कांग्रेस उम्मीदवार को कुल 27696, बीजेपी उम्मीदवार को 22691 मत मिले।
जीत के बाद उन्होंने जीत का श्रेय बद्रीनाथ की जनता को दिया है। उन्होंने कहा जिस प्रकार से यह जनता पर जबरदस्ती थोपा गया चुनाव था, जनता ने अपना जनादेश देकर बता दिया कि जो जनता के जनादेश का अपमान करेगा उसको मुंह की खानी पड़ेगी। उन्हें कहा कि बद्रीनाथ विधानसभा के सर्वाधिक विकास के लिए हर संभव काम करेंगे। जीत के बाद कांग्रेसियों ने जमकर जश्न मनाया।
उत्तराखंड के दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने मंगलौर और बद्रीनाथ विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की है आपको बता दें कि कांग्रेस के प्रत्याशी काजी निजामुद्दीन ने मंगलोर विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी करतार सिंह भडाना को 449 वोटो से हराकर जीत दर्ज की वही बद्रीनाथ सीट से कांग्रेस प्रत्याशी लखपत सिंह बुटोला ने भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र भंडारी को 5 हजार से ज्यादा वोटो से हराकर जीत दर्ज की हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि भाजपा के पास यह दोनों सीटे नहीं थी मंगलौर की सीट बसपा के पास थी वह अब कांग्रेस के पास चली गई है और बद्रीनाथ विधानसभा की सीट पहले भी कांग्रेस के पास थी और आज जीत दर्ज करने के बाद फिर से कांग्रेस के पास ही गई है ऐसे में भाजपा को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है।
अयोध्या के बाद भाजपा के बदरीनाथ सीट भी हार जाने के कई मायने निकाले जा रहे है। मंगलौर सीट पर भाजपा का कभी कब्जा नहीं रहा, लेकिन बदरीनाथ सीट खास थी। प्रदेश में दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम सामने आने के साथ ही भाजपा को झटका लगा है। मंगलौर के साथ ही भाजपा बदरीनाथ सीट भी हार गई। मंगलौर सीट पर भाजपा ने करतार सिंह भड़ाना को मैदान में उतारा था, लेकिन भड़ाना कांग्रेस प्रत्याशी काजी मोहम्मद निजामुद्दीन से मात खा गए। वहीं बदरीनाथ में भाजपा ने राजेंद्र भंडारी पर भरोसा जताया था, लेकिन कांग्रेस के लखपत सिंह बुटोला से भंडारी मात खा गए। बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में कांग्रेस ने अपनों पर विश्वास जताया था। पार्टी ने दोनों सीटों पर उन चेहरों को मैदान में उतारा, जो कांग्रेस से लंबे समय से जुड़े हैं। दिलचस्प बात यह है कि प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा ने जिन चेहरों पर दांव लगाया, वो दोनों ही उसकी सांगठनिक नर्सरी से नहीं थे।

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