*हरीश रावत बन पाएंगे कांग्रेस के खेवनहार*
दुर्गेश मिश्रा
देहरादून। उत्तराखंड में पहले चरण में 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। 2019 की तरह इस बार कांग्रेस व भाजपा के सिपाही मैदान में उतरे गए हैं। कांग्रेस के मुकाबले भाजपा का पलड़ा भारी है। कांग्रेस नेताओं के पार्टी छोड़कर चले जाने से इस बार कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है। वहीं हरिद्वार से हरीश रावत के पुत्र वीरेंद्र रावत मैदान में है। इस बार भी हरीश रावत के कंधों पर चुनाव जीताने की बड़ी जिम्मेदारी है। 2014 में हरीश रावत ने सीएम की बागडोर संभाली थी, लेकिन उनकी अगुवाई में 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार झेलनी पड़ी। फिर 2022 में भी हरीश रावत ने जिद्द करते हुए चुनाव में कमान संभाली। मगर उनकी लाख कोशिशों के बाद भी कांग्रेस की नैया पार नहीं हो पाई। उनके द्वारा इस चुनाव में जीतने में लोगों का टिकट मांगा गया था वे सभी हार गए। यहीं नहीं हरीश रावत भी अपनी सीट पर जीतने में सफल नहीं पाए। 2013 से पहले कांग्रेस प्रदेश में एक मजबूत जनाधार वाली पार्टी रही। एनडी तिवार की सरकार पूरे साल का कार्यकाल पूरा करने में कामयाब रही। जब से हरीश रावत केंद्र से उत्तराखंड की राजनीति में सक्रिय हुए, पार्टी का जनाधार व जनता में पकड़ सिसकती नजर आई। आज नौबत यहां तक आ चुकी है। कांग्रेस के द्वारा मैदान में खड़े लोकसभा प्रत्याशियों के लिए जीत नामुकिन लग रही है। हालांकि जनता के मन में क्या चल रहा है। यह अभी बता पाना मुश्किल है।