सिलक्यारा में सुरंग निर्माण कर रही कंपनी नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी टनल सेफ्टी नार्म्स की बात दूर छोड़िये, उसे यह नहीं पता कि टनल में आखिर कितने मजदूर फंसे हैं। छह दिन बाद पता चला कि 40 नहीं 41 मजदूर टनल में हैं। हद है लापरवाही की। ये लोग श्रमिक हैं, भेड़-बकरियां नहीं। चरवाहे को पता होता है कि उसके पास कितनी भेड़ हैं, यहां कंपनी को पता नहीं। ऐसे में कंपनी के सभी जिम्मेदार अधिकारियों को तुरंत जेल होनी चाहिए और उनकी धरोहर राशि भी जब्त हो। कंपनी को ब्लैकलिस्टेड किया जाना चाहिए।
श्रमिकों की हालत पता नहीं कैसी होगी? लेकिन कल रात को जो चट्टान टूटी है, उससे उनकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। कुछ लोग बता रहे हैं कि मलबे में एक पोकलैंड मशीन भी फंसी है। यदि ऐसा है तो यह और भी दिक्कत हो सकती है। नवयुग कंपनी पर सवाल उठ रहे हैं कि कंपनी ने साढ़े चार किलोमीटर लंबी सुरंग निर्माण में सेफ्टी नार्म्स को ताक पर रखा।
भू-वैज्ञानिकों के अनुसार किसी भी टनल निर्माण के लिए तीन अहम चीजें होती हैं। आपरेशन के दौरान जियो फिजिकल, जियो टेक्नीकल और हाई लेवल सेफ्टी मेजर होने चाहिए। टनल दो फेज से खुलता है। बीच में ‘एडिड‘ बनते हैं। जगह-जगह एडिड बनाए जाते हैं ताकि कहीं कुछ गड़बड़ तो बाईपास किया जा सकता है। सुरंग निर्माण से पहले टेस्ट होल से अंडरग्राउंड का प्रेशर नापा जाता है। प्रेशर बियरर कैपेसिटी को नापा जाता है। सुरंग को यदि एक मीटर खोदा जाता है तो पहले उसे ट्रीट किया जाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक यदि सुरंग के बीच में कोई पैच बिना ट्रीट कर छोड़ा गया होगा तो चट्टान के टूटने की आशंका होती है।
सूत्रों के मुताबिक मातली के एक गेस्ट हाउस में दूसरे राज्यों से आए दो नौकरशाहों ने मजदूरों के लिए मिठाई समेत गिफ्ट पैक तैयार किये थे कि श्रमिकों को बाहर आते ही दे देंगे। दिन पर दिन बीते तो वो चलते बने। श्रमिक सुरंग से बाहर आएं और मिठाई खाएं। उनके सुरक्षित बाहर निकले की कामना है।