
रुद्रप्रयाग। उत्तराखंड पावर कॉर्पाेरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) पर एक गंभीर आरोप लगा है, जिसमें उत्तराखंड राज्य लोकमंच-दिल्ली के उपाध्यक्ष और उत्तराखंड लोकमंच दिल्ली (रजि.) के पदेन उपाध्यक्ष पंचम सिंह रावत ने अपनी उपजाऊ जमीन पर बिना सूचना या मुआवजा दिए ट्रांसफार्मर स्थापित करने का दावा किया है। यह मामला रुद्रप्रयाग जिले के ग्राम पंचायत बांसी भरदार, मुहल्ला सिरवांणी, डांगली तोक का है, जहां रावत का मकान भी स्थित है।
पंचम सिंह रावत, जो उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी हैं, ने बताया कि यूपीसीएल ने उनकी जमीन पर बिना किसी मौखिक या लिखित सूचना के जबरदस्ती ट्रांसफार्मर लगाया, जिसके चलते उनकी फसलों को भारी नुकसान हुआ और आय का स्रोत प्रभावित हुआ। उन्होंने इस अतिक्रमण को “भूमाफिया“ जैसा कृत्य करार देते हुए कहा कि यह उनके मौलिक अधिकारों का हनन है। रावत ने बीते 26 मई को मुख्यमंत्री समाधान पोर्टल के माध्यम से ट्रांसफार्मर को अन्यत्र स्थानांतरित करने की मांग की थी।
जवाब में, यूपीसीएल के अधिशासी अभियंता मनोज कुमार ने उन्हें 2,02,555 का प्रांक्कलन भेजकर यह राशि जमा करने का आदेश दिया। रावत ने इसे “धमकी“ और मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया। उन्होंने सवाल उठाया कि बिना मुआवजा दिए उनकी जमीन पर अतिक्रमण क्यों किया गया और अगर मुआवजा दिया गया था, तो उसका विवरण उपलब्ध कराया जाए। साथ ही, उन्होंने ट्रांसफार्मर से उत्पन्न होने वाले संभावित खतरों, जैसे आकाशीय बिजली या तकनीकी खराबी से जान-माल और मकान को होने वाले नुकसान की जिम्मेदारी यूपीसीएल से पूछी। इस मामले को उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के महासचिव मोहित डिमरी ने भी जोरदार तरीके से उठाया। डिमरी ने कहा, “विभाग को पहले मुआवजा देना चाहिए था, लेकिन अब उल्टा ट्रांसफार्मर हटाने के लिए पैसे मांगे जा रहे हैं। यह अन्यायपूर्ण और शर्मनाक है। “रावत ने यूपीसीएल से आग्रह किया कि उनकी जमीन, जान-माल और मकान की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ट्रांसफार्मर को तत्काल अन्यत्र स्थानांतरित किया जाए। उन्होंने यह भी चिंता जताई कि उत्तराखंड जैसे राज्य, जिसके निर्माण के लिए आंदोलनकारियों और शहीदों ने बलिदान दिया, वहां यूपीसीएल जैसे उपक्रमों के अधिकारी मनमाने ढंग से कार्य कर रहे हैं।