आस्थाहरियाणा

धरती पर स्वर्ग का नक्शा भक्ति के रंग से तैयार -77वें वार्षिक निरंकारी संत समागम तैयारी पूरी

परम श्रद्धेय सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज एवं निरंकारी राजपिता रमित की पावन सांनिध्य मिलेगा

-श्रद्धा, भक्ति, प्रेम, सेवा, समर्पण, कला, संस्कृति, धर्म, आध्यात्मक का अनुपम संगम होगा निरंकारी संत समागम

गन्नौर(सोनीपत) 11 नवम्बर, श्रद्धा, भक्ति, सेवा, समर्पण, कला, संस्कृति, धर्म, आध्यात्मक का अनुपम संगम होगा निरंकारी संत समागम के रुप में धरती पर भक्ति के रंग से तैयार स्वर्ग का नक्शा तैयार हो गया है। सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आनंद के दिव्य स्वरूप प्रदान करने वाले 77वें वार्षिक निरंकारी संत समागम का दिव्य और भव्य आयोजन 16 से 18 नवम्बर को संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, गन्नौर-समालखा हल्दाना बोर्डर (हरियाणा) में होगा। परम श्रद्धेय सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज एवं परम निरंकारी राजपिता रमित की पावन सांनिध्य रहेगा। वार्षिक निरंकारी संत समागम की तैयारी अंतिम चरण में है।
विश्वभर के समस्त श्रद्धालुओं को भक्ति-उत्सव की उत्सुकतापूर्वक प्रतीक्षा रहती है जिसमें विभिन्न संस्कृतियों एवं सभ्यताओं की बहुरंगी छठा अनेकता में एकता का अनुपम चित्रण प्रदर्शित करते हुए विश्वबन्धुत्व को साकार करेगी। सतगुरु के दिव्य दर्शन और मंगलकारी अमूल्य प्रवचनों रसधारा प्रवाहित होगी। भक्तों की सुविधा के लिए समागम स्थल एलईडी. स्क्रीन लगाई जा रही हैं।
समागम में भव्य गेट की संरचना मुम्बई की गोपी एण्ड पार्टी टीम द्वारा की जा रही है। यह द्वार कला स़स्कृति के साथ अध्यात्म का संदेश भी देते हैं।
समागम परिसर चार भागों में विभाजित किया गया है। ग्राऊंड ए में मुख्य सत्संग स्थल, निरंकारी प्रदर्शनी तथा संत निरंकारी मण्डल के प्रशासकीय विभागों के कार्यालयों, निरंकारी प्रकाशन, कैंटीन, सेवादल रैली स्थल एवं पार्किंग रहेंगी। बाकी तीनों मैदानों में श्रद्धालु भक्तों के लिए रिहायशी टैंट की व्यवस्था की गई है। पानी, बिजली, सीवरेज इत्यादि जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवायी गयी हैं। स्वच्छता को बनाए रखने के लिए निरंकारी सेवादल समर्पित सेवाएं दे रहे हैं।
संत निरंकारी मिशन के सचिव जोगिंदर सुखीजा ने बताया कि समागम संबंधित सारी प्रबंध व्यवस्थाएं सतगुरु माता के आशीर्वाद की जा रही हैं। सतगुरु माता की के परम सांनिध्य में संत समागम में आने वाले श्रद्धालुओं हर सुविधा मिले। सतगुरु की दिव्य शिक्षाओं का व्यवहारिक स्वरुप है। संत समागम में हर ओर प्रेम, सदभाव और एकत्व का ही दिव्य संदेश के साथ मानवता के इस महाकुंभ में सभी मानव प्रेमी भाई-बहन आमंत्रित हैं।

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