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ईडी की बड़ी कार्रवाई, उत्तराखण्ड के वन अधिकारी की 32 करोड़ की प्रॉपर्टी अटैच

कॉर्बेट नेशनल पार्क में टाइगर सफारी व पेड़ कटान मामले में सीबीआई दर्ज कर चुकी है मुकदमा

देहरादून। कॉर्बेट नेशनल पार्क की पाखरो टाइगर सफारी निर्माण घोटाले मामले में आरोपी डीएफओ किशन चंद की संपत्तियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। ईडी की कार्रवाई के बाद सत्ता के गलियारों में हलचल मच गई है। प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने पूर्व आईएफएस की 32 करोड़ की सम्पत्ति अटैच की है। गौरतलब है कि पाखरो टाइगर निर्माण में धांधली व पेड़ कटान के मामले में किशन चंद जेल भी जा चुके है। इस मामले में 13 अक्टूबर को सीबीआई ने मुकदमा दर्ज किया है। पूर्व वन मंत्री हरक सिंह से भी सीबीआई पूछताछ कर रही है। इधर, बुधवार को ईडी ने मनी लांड्रिंग के तहत तत्कालीन डीएफओ किशन चंद पर यह कार्रवाई की है।
मिली जानकारी के मुताबिक हरिद्वार जिले में एक स्कूल भवन और रुड़की स्थित एक स्टोन क्रशर प्लांट को धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अटैच किया गया है, जिनका स्वामित्व आईएफएस किशन चंद और उनके परिवार के सदस्यों के पास है। वहीं ईडी ने आईएफएस अधिकारी किशन चंद की 31 करोड़ रुपये से अधिक कीमत की संपत्ति को अटैच किया गया है। आपको बता दें कि यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग मामले के तहत की गई है।
इन संपत्तियों की कुल कीमत 31.88 करोड़ रुपये है। चंद प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) के रूप में कार्यरत थे। मनी लॉन्ड्रिंग का मामला उत्तराखंड सरकार के सतर्कता विभाग के अधिकारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर से जुड़ा है। जांच के दौरान पता चला कि कि अटैच की गई संपत्तियां ‘अपराध से अर्जित आय’ हैं, और विभिन्न खातों में भारी मात्रा में नकदी तथा तीसरे व्यक्ति के नाम पर चेक जमा किए गए थे।
जमा की गई राशि का उपयोग इन संपत्तियों को खरीदने के लिए किया गया। एक जनवरी 2010 से 31 दिसंबर 2017 तक की अवधि के दौरान किशन चंद ने चल और अचल संपत्तियों के अधिग्रहण व खरीद के साथ- साथ अन्य कार्यों पर 41.9 करोड़ रुपये की राशि खर्च की। हालांकि इस दौरान चंद की आय 9.8 करोड़ रुपये थी। इस प्रकार, आईएफएस के पास 32.1 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति थी, जो अपराध की कमाई है।

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