ऋषिकेश: 128 वर्षीय योग गुरु स्वामी शिवानंद जो काशी के गंगा घाटों पर योग शिक्षा देते हैं और जिन्हें मार्च, 2021 में भारत सरकार ने पदमश्री पुरस्कार देने की घोषणा की थी, आज अपने 50 सहयोगियों, भक्तों के साथ मुनि की रेती, ऋषिकेश स्थित सीतारामदास ओंकारनाथदेव द्वारा स्थापित हृषिकेश आश्रम में पधारे।
स्वामी शिवानंद ने आश्रम में स्थापित श्री मन्दिर, गंगा मन्दिर, श्री गंगेश्वर महादेव मन्दिर के दर्शन किए। स्वामी जी को आश्रम प्रबंधन की ओर से माल्यार्पण किया गया, उन्हें एक दुशाला, फल की टोकरी और गुरुजी साहित्य भेंट किया गया। स्वामी के साथ आए सहयोगियों, भक्तों को मिष्ठान, फल का प्रसाद अर्पित किया गया।
स्वामी आश्रम में लगभग दो घंटे ठहरे और उन्होंने शान्त स्वर में वार्तालाप किया। स्वामी का विनीत भाव सबको प्रभावित करता है। किसी द्वारा प्रणाम करने पर वे प्रत्युत्तर में प्रणाम करते हैं। उनकी यह प्रवृति भगवान श्री कृष्ण के गीता के इस श्लोक को प्रतिपादित करती है, “ममेवांशो जीवलोके, जीवभूत सनातन:” (मैं संसार के सभी जीवों में आत्मा में अवस्थित हूं)। ऐसा प्रतीत होता है कि स्वामी सभी में भगवान की उपस्थिति जानकर ही सभी को प्रणाम करते हैं।
स्वामी शिवानंद शान्त चित्त के स्वामी हैं। स्वामी धन का संग्रह नहीं करते, दान नहीं लेते, उन्हें कोई रोग नहीं, कोई इच्छा नहीं, दूध और फल का सेवन नहीं करते, दिन के समय निद्रा नहीं लेते। शायद यही उनकी दीर्घायु का रहस्य है।
पदमश्री पुरस्कार लेते समय के क्षण सभी की स्मृति में हैं। वे नंगे पांव आए थे। राष्ट्रपति के दरबार हाल में मध्य में रुककर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रणाम किया, जिसके प्रत्युत्तर में मोदी ने भी उन्हें झुककर प्रणाम किया। राष्ट्रपति से पुरस्कार ग्रहण करने से पूर्व दीर्घा में उन्होंने दो बार झुककर प्रणाम किया। पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने उन्हें पद्मश्री से सुशोभित किया। उस समय राष्ट्रपति भवन का समूचा दरबार हाल करतल ध्वनि से गूंज उठा था।
स्वामी शिवानंद के हृषिकेश आश्रम आगमन पर आश्रम के सर्वश्री हेमन्त हंस, पंडित चिरंजीत बनर्जी, संन्यासी सांतरा, दिलीप शर्मा, स्वामी चैतन्य, ऐशिक मित्र एवं पश्चिम बंगाल से पधारे आचार्य बासुदेव मुखोपाध्याय एवं किंकर गोविंददेव मुखोपाध्याय उपस्थित रहे।