उतराखंडराष्ट्रीय राजमार्ग

अतिक्रमणकारियों के आगे एनएच विभाग और जिला प्रशासन बौना

एनएच विभाग के दोहरे मापदंड से प्रभावितों में आक्रोश

रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे के तिलवाड़ा में 14 मीटर कटिंग का मानक
आठ किमी आगे सिल्ली में 24 मीटर कटिंग के मानकों पर उठे सवाल
मुआवजा वितरण के बाद भी नहीं हटाया जा रहा अतिक्रमण
रुद्रप्रयाग। रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे 107 पर कटिंग के कार्य में मानकों की अनदेखी से लोगों में आक्रोश बना हुआ है। सरकार और एनएच विभाग की नीतियां स्पष्ट नहीं हैं। हाईवे के तिलवाड़ा में 14 मीटर कटिंग की जा रही है तो आठ किमी आगे सिल्ली में 24 मीटर कटिंग का कार्य किया जा रहा है। मुआवजा बांटने के बाद समय से भूमि अधिग्रहण नहीं करने से भी दिक्कतंे हो रही हैं, जिस कारण कुछ लोग लगातार हाईवे पर अतिक्रमण कर पुनः अपने प्रतिष्ठानों को खड़ा करने में लगे हैं। एक तरफ कुछ लोग एनएच विभाग की गाइड लाइन का पालन कर रहे हैं तो दूसरी तरफ कुछ लोग अतिक्रमण करके एनएच विभाग और जिला प्रशासन को ठेंगा दिखाने में लगे हैं।
चारधाम परियोजना के तहत रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे पर बीते पांच-छह सालों से निर्माण कार्य जारी है। परियोजना के तहत हाईवे पर रुद्रप्रयाग से सीतापुर तक 24 मीटर कटिंग का कार्य किया जाना था, मगर ऐसा नहीं किया जा रहा है। हाईवे पर कटिंग कार्य को लेकर मानकों को बदला गया है। जहां हाईवे के तिलवाड़ा में 14 मीटर कटिंग का कार्य किया जा रहा है, वहीं आठ किमी आगे सिल्ली में 24 मीटर कटिंग का कार्य किया जा रहा है। एक तरफ एनएच विभाग ने सिल्ली बाजार को पूरी तरह इतिहास के पन्नों में समेटकर रख दिया है, वहीं दूसरी ओर तिलवाड़ा सहित अन्य बाजारों पर मेहरबानी दिखाई है। यहां तक कि जिन लोगों को भवन और भूमि का लाखों-करोड़ों रूपए मुआवजा दिया है, वहां भूमि अधिग्रहण नहीं की है। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि एनएच विभाग और जिला प्रशासन अतिक्रमण कराने में लगा है। हाईवे के जिन स्थानों पर भूमि और भवन का मुआवजा बांटा गया है, वहां पर कुछ लोगों ने पुनः कब्जा कर दिया है और वे सरकार से मिली धनराशि खाने के बाद अब अतिक्रमण कर रहे हैं। जिसमें जिला प्रशासन और एनएच विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत है।
सिल्ली निवासी देवी प्रसाद गोस्वामी ने कहा कि सिल्ली बाजार का अस्तित्व समाप्त हो चुका है। पहले 2013 में आपदा की मार झेलने को मिली। इसके बाद एनएच विभाग के मानकों ने बाजार को पूरी तरह से इतिहास के पन्नों में समेटकर रख दिया है। कहा कि आपदा के बाद किसी तरह लोगों ने खड़े होने की हिम्मत दिखाई तो राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग ने लोगों के रोजगार को छीन लिया। विभाग के मानक सही नहीं हैं। रुद्रप्रयाग से सीतापुर तक एनएच विभाग ने अपने तरीके से हाईवे में कटिंग का कार्य किया है, जो उचित नहीं हैं। सिल्ली बाजार का पलायन हो चुका है और अब यहां नाममात्र की दुकाने हैं। कहा कि तिलवाडा में 14 मीटर कटिंग की गई, जबकि सिल्ली में 24 मीटर कटिंग की जा रही है। हाईवे कटिंग में मानक एक होने चाहिए। सरकार और एनएच विभाग की नीतियां स्पष्ट नहीं होने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

सामाजिक कार्यकर्ता हरीश गुंसाई ने कहा कि पहाड़ का विकास अनियोजित तरीके से हो रहा है। चारधाम योजना को बनाने वाले अधिकारियों ने धरातलीय निरीक्षण नहीं किया। इस योजना में एएसआई की रिपोर्ट भी नहीं लगी है। प्रभावितों के सामने मुआवजे को लेकर भी मुश्किले हुई हैं। यहां स्थिति ये बनी कि मुआवजा किसी को मिला और खेत किसी और का काट लिया। रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे कटिंग में मानकों की अनदेखी के कारण लोगों को बहुत सारी परेशानियांे का सामना करना पड़ा है। मुआवजा बांटने के बाद समय से भूमि का अधिग्रहण भी नहीं किया गया, जिससे आज फिर से वही स्थिति देखने को मिल रही है। लोग अपनी जमीन और भवन का मुआवजा खाने के बाद फिर से उसी स्थान पर प्रतिष्ठान खड़े कर रहे हैं।

करोड़ों का मुआवजा बांटने के बाद भी नहीं हटाया अतिक्रमण
रुद्रप्रयाग। रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे कटिंग में जहां एनएच विभाग ने नियमों को ही बदलकर रख दिया, वहीं सरकार से मुआवजा खाये बैठे लोगों के भवनों को नहीं तोड़ा गया है। प्रभावितों की माने तो जिस पर एनएच विभाग का बस चल रहा है, वहां तोड़ने की कार्रवाई तेजी से हो रही है और जिन लोगों को कटिंग का लाखों-करोड़ों रूपए मुआवजा मिला है, उनके भवनों को बचाकर फिर से उन्हें अतिक्रमण करने का मौका दिया जा रहा है। जिससे वे भविष्य में फिर से मुआवजा के लिए फाइल लगा सकें। ऐसी स्थिति तिलवाड़ा और सिल्ली में देखने को मिल रही है। सूत्रों की माने तो जिला, तहसील और एनएच विभाग मिलकर ऐसे लोगांें को संरक्षण दे रहा है और सरकार से मिली धनराशि का वारा-न्यारा किया जा रहा है। स्थानीय लोगों की माने तो एनएच विभाग अपनी मनमानी कर रहा है। कुछ अतिक्रमणकारियों के आगे एनएच विभाग और शासन, जिला व तहसील प्रशासन बौना साबित होता दिखाई दे रहा है।

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